गौमाता के बचने और बढ़ने से ही देश खुशहाल होगा-ओम प्रकाश आर्य

गौमाता के बचने और बढ़ने से ही देश खुशहाल होगा-ओम प्रकाश आर्य


श्री गौशाला कठार जंगल बस्ती के 120वें स्थापना दिवस मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर गौरक्षा सम्मेलन का शुभारंभ पण्डित चन्द्रमुनि वानप्रस्थी के ब्रह्मत्व में देवयज्ञ द्वारा किया गया। गौरक्षण और गौसंवर्द्धन हेतु वेद मंत्रों से आहुतियाॅ दी गयी। यज्ञोपरांत ओम प्रकाश आर्य न्यासी श्री गौशाला कठार जंगल और अतुल कुमार पाण्डेय पशुधन प्रसार अधिकारी कप्तानगंज द्वारा विधि विधान से गौपूजन किया गया और तिलक लगाकर गौग्रास खिलाया गया। प्रधान न्यासी ओम प्रकाश आर्य ने बताया कि गौमाता के बचने और बढ़ने से ही देश खुशहाल होगा। कहा कि हम सबको गौमाता की सेवा तन मन धन से करनी चाहिए तभी हम खुशहाल होंगे। गाय के बचने से ही गाॅव व कृषि बच सकेगी। यज्ञाचार्य पं0 विधान चन्द्र त्रिपाठी जी ने कहा कि देशी प्रजाति की गाय हमारे जीवन का आधार है। वर्तमान में देशी प्रजाति पर पूरे विश्व में शोध चल रहा है। कुछ राज्यों में इसके पालन व संवर्द्धन के लिए सरकार भी कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवा रही है और प्रति गाय की सेवा के लिए दो हजार रुपए की सम्मान निधि भी दे रही है। इसके गोबर गोमूत्र से जैविक खेती करके हम रासायनिक खादों के जहर से बच सकते हैं। अतुल कुमार पाण्डेय पशुधन प्रसार अधिकारी कप्तानगंज ने कहा कि गौसेवा से व्यक्ति निर्वैर हो जाता है जिससे आपसी भाईचारा भी बढ़ता है। किसानों को विभिन्न प्रकार के कृषि उपयाोग बताते हुए कहा कि गोमूत्र दूध से ढाई गुना मॅहगा है पर इसकी उपयोगिता की जानकारी न होने से हमारे किसान भाई गोवंश को अनुपयोगी समझकर बेंच दे रहे हैं जबकि केवल गोबर गोमूत्र देने वाले गोवंश कम उपयोगी नहीं हैं। अजीत कुमार पाण्डेय जिला संचालक आर्य वीर दल बस्ती ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है हमारे पूर्वजों ने इसका आधार गाय को माने हुए विभिन्न प्रकार के त्यौहार जैसे गोपाष्टमी, गोवर्द्धन पूजा आदि बनाकर उसकी रक्षा एवं संवर्द्धन में लीन रहते थे पर कुछ दशक पहले विदेशी षडयन्त्रों के तहत इसे अनुपयोगी सिद्ध कर दिया गया। आनन्द स्वरूप सिंह कौशल ने बताया कि वास्तव में गाय हमारा पालन ही नहीं करती बल्कि हमें रोगमुक्त व समृद्ध भी बनाती है। इस कार्यक्रम में चंद्रशेखर मिश्र प्रधान न्यासी मुख्य यजमान रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आदित्य आर्य ने बताया कि गोघृत जलाने से निकलने वाली गैसे अशुद्ध वायु को अपनी ओर खींचकर शुद्ध करती है तथा इसका गोबर और गोमूत्र रासायनिक खादों का बेहतर विकल्प है इसका उपयोग करके अधिकाधिक उत्पादन भी किया जा सकता है तथा रोगमुक्त अन्न प्राप्त किया जा सकता है। कार्यक्रम के अन्त में प्रधान न्यासी चन्द्रशेखर मिश्र ने बताया कि सन् उन्नीस सौ पाॅच 1905 में सन्यासी परमहंसदास जी महाराज द्वारा स्थापित यह गौशाला क्षेत्रवासियों के लिए गौरव का प्रतीक है। उन्होंने मेले में आने वाले लोगों से गोपूजन में शामिल होने व मुक्त हस्त से गौशाला हेतु सहयोग की अपील करते हुए सबके प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विकास मिश्र, अजीत आर्य, शिव कुमार, मनीष, धर्मेन्द्र कुमार, जितेन्द्र,राम शंकर, पलटू , चौथी, प्रमोद कुमार मिश्र, रामधीरज गुप्ता, दीपक कुमार मिश्र, अष्टभुजा, राजेश यादव, आशुतोष मिश्र, सूर्यप्रकाश मिश्र, राजकुमार मिश्र, सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
गरुणध्वज पाण्डेय

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