अनाथ एवं वृद्ध जनों का सेवा करना ही मानवता का सबसे बड़ा धर्म: न्यायमूर्ति राजेश टंडन

 अनाथ एवं वृद्ध जनों का सेवा करना ही मानवता का सबसे बड़ा धर्म: न्यायमूर्ति राजेश टंडन 

आनन्दधर दिवेदी

बस्ती। अनाथ और बेसहारा का सहारा बनकर उनके जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करना उनका देखभाल करना ही सच्चा मानव धर्म है। इसे हर मानव को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए । उक्त विचार मुख्य अतिथि   राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय संरक्षक न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने N H 28  डुहवा मिश्र में वृद्धाश्रम एवं अनाथालय भूमि पूजन कार्यक्रम में व्यक्त किया। उन्होने  कहां कि आज के वर्तमान परिस्थितियों में लोग अपने माता-पिता को बेसहारा छोड़ दे रहे हैं। इस स्थिति में समाजसेवियों को आगे आकर के उन अनाथ, बेसहारा लोगों का सहारा बन करके उनके जीवन में उजाला लाना चाहिए। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे सी,वी, तिवारी गृह मंत्रालय नई दिल्ली,ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए इसके उज्जवल भविष्य की कामना किया तथा अपने स्टार से हर सम्भव सहयोग देने का आश्वासन दिया।इस अवसर पर वृद्धाश्रम अनाथालय के संचालक राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन के चेयरमैन, एडवाइजर सूक्ष्म ,लघु एवं मध्यम, उद्यम मंत्रालय भारत सरकार डॉ कुलदीप मिश्र ने भौतिकवादी, एकाकी ,परिवार की बढ़ती प्रवृत्ति पर रोक लगाने की आवश्यकता बताइ । उन्होने आज के समाज में  वृद्धाश्रम एवं अनाथालय स्थापित के जाने की आवश्यकता बताई तथा आगे की की रूपरेखा को प्रस्तुत किया । कहां कि तीन मंजिला भवन में आधुनिक सुविधाओं से लैस आश्रम की परिकल्पना किया गया । जहां पर वृद्ध जनों , असहायो के लिए भोजन, वस्त्र, चिकित्सा, सेवा, सुरक्षा मनोरंजन की व्यवस्था  रहेगी ।   कार्यक्रम में मुख्य रूप से न्यायमूर्ति शशि टंडन, प्रणव ,चंद्रकांत पांडे ,प्रदीप यादव , आनंद दुबे, विनोद मौर्य, उदय प्रताप सिंह, हरिश्चंद्र पांडेय ,डॉक्टर नवीन पांडेय ,डॉक्टर रमेश प्रताप सिंह ,उमेश दुबे , शैलेंद्र कुमार, मुरलीधर, दुर्गेश कुमार,विश्वनाथ पांडेय ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का  कुशल संचालन राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव सूर्य नारायण उपाध्याय भावुक ने किया।

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