सूर्योपासना और समरसता का महापर्व है छठ पूजा,व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य
यूपी, बस्ती.. चंद्रनगर मथौली बनकटी
सूर्य की उपासना का महापर्व छठ मंगलवार को नहाए खाए के साथ विधि विधान से शुरू हुआ बुधवार को व्रती महिलाओं ने खरना व्रत रखा और आज गुरुवार की शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हुए प्रणाम किया।
चार दिनों के पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है जिले के बनकटी नगर पंचायत के चंद्र नगर मथौली में सरोवर को दिव्य और अलौकिक रूप से सजाया गया है एवं साफ सफाई के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।रोशनी की व्यापक व्यवस्था की गई है। नहाय खाए के साथ शुरू होने वाले छठ पर्व के दूसरे दिन बुधवार को खरना है छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है इस दिन व्रत रखा जाता है रात में खीर का प्रसाद ग्रहण किया जाता है तीसरे दिन गुरुवार को व्रती महिलाएं सूर्य अर्ध देखकर पूजन अर्चना करती है। ब्रती महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन अर्चन करती हैं। वर्ती महिलाएं शुक्रवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध देकर छठ व्रत को पूरा करेंगी। छठ पूजा को लेकर महिलाएं उनके परिवार में उत्साह का माहौल है घरों में छठ माता के गीत भी गूंज रहे हैं। नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि अरविन्द पाल ने बताया कि चार दिवसीय इस तप एवं साधना युक्त जीवन को व्यतीत कर घरों की स्त्री महिलाएं बहने अपने घर के सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं इस भावना से जुड़े महापर्व को करने का अवसर जिसको प्राप्त होता है सच में भाग्यशाली होता है और छठ मैया उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करती है।
कौन है छठ मैया आइए जाने..
यह देवी, ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृदेवी के रूप में जाना जाता है, जो छठी मईया के नाम से प्रसिद्ध हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मैया, सूर्य देव की ही बहन हैं। छठी मैया की उत्पत्ति के पीछे एक रोचक कथा है। पुराणों के अनुसार जब ब्रह्म देव सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब उन्होंने खुद को दो भागों में विभाजित कर लिया था। एक भाग पुरुष और दूसरा प्रकृति बना। इसके बाद प्रकृति ने भी खुद को 6 भागों में विभाजित कर लिया, जिसमें से एक भाग छठी मईया हैं। इस तरह छठी मैया देवी मां का छठा अंश हैं और उन्हें प्रकृति की देवी कहा जाता है। इसलिए छठ को प्रकृति की पूजा का पर्व भी कहा जाता है।
संतान और परिवार की रक्षा की प्रार्थना
छठ पर्व पुत्र और परिवार की रक्षा और लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। इसमें छठी मैया और सूर्य देव से घर-परिवार की रक्षा की प्रार्थना करते हुए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति पूरी आस्था, भक्ति और विश्वास के साथ इस पर्व को मनाता है और 36 घंटे का व्रत रखता है, छठी मईया और भगवान सूर्य खुद उसके पुत्र और परिवार की लंबी आयु की रक्षा करते हैं। साथ ही अपार सुख-समृद्धि भी देते हैं।