आस्था व धर्म का प्रतीक माना जाता है छठ व्रत

छठ महापर्व: व्रत के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देती व्रती महिलाएं





उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल सहित बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है छठ महापर्व







आस्था व धर्म का प्रतीक माना जाता है छठ व्रत




आस्था का महापर्व छठ 8 नवंबर 2021 को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया था। बिहार, झारखंड और यूपी के कई जिलों (पूर्वांचल) के लिए इस त्योहार का बड़ा महत्व है। दिवाली से ही लोग इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं।
इस त्योहार में नहाय-खाय के बाद अगले दिन खरना और फिर डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास का पारण करते हैं। 
छठ पर्व का तीसरा दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की तारीख 10 नवंबर यानि की आज था। 10 नवंबर को सूर्यास्त का समय 5 बजकर 30 मिनट था। व्रत धारी महिलाओं ने शाम सूर्य देवता को अर्घ्य दिया। ऐसे में देखा गया कि कप्तानगंज क्षेत्र के गडहा गौतम में गांव के ही सुंदर तालाब के किनारे एवं मनवर नदी के अगल बगल के गांव की व्रत धारी महिलाओं ने देर शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
छठ पूजा का यह अंतिम दिन होता है। इसका निर्धारण कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के आधार पर ही होता है। इस दिन व्रत रखने वाले उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद पारण किया जाता है और फिर व्रत पूरा करते हैं। 
11 नवंबर 2021 को सूर्योदय 6 बजकर 41 मिनट पर होगा।

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