वैज्ञानिक विधि से धान की नर्सरी कैसे तैयार करें।

 धान की नर्सरी की करें तैयारी कृषि विज्ञान केन्द्र बस्ती 

शकील खान की खास रिपोर्ट

बस्ती।  बस्ती के प्राध्यापक एवं अध्यक्ष प्रो0 एस0एन0 सिंह ने अवगत कराया कि गर्मी की जुताई समाप्त होते ही खरीफ फसलों की बुवाई की व्यवस्था करना अति आवश्यक एस0एन0 सिंह है। उन्होने किसान भाइयों को सलाह दी कि सही समय व संसाधन के अनुसार खरीफ फसलों जैसे धान, मक्का, अरहर, तिल, मूॅगफली, मोटे अनाज जैसे साॅवा, कोदो, मडुआ व रागी की बुवाई वैज्ञानिक विधि से करके अच्छा उत्पादन एवं लाभ प्राप्त कर सकते है। किसान भाइयों को चाहिए कि खाली पडे खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से दो-तीन बार गहरी जुताई करके खेत को खुला छोड दें ताकि मिट्टी में मौजूद कीट, रोग व खरपतवार के अवशेष नष्ट हो जायें तत्पश्चात हरी खाद हेतु ढेंचा 50-55 किग्रा0/हे0 या सनई 60 किग्रा0/हे0 की दर से बुवाई करें। शस्य वैज्ञानिक डा0 आर0वी0 सिंह ने बताया कि धान की नर्सरी के लिये 20 जून तक का समय उपयुक्त है। अतः उपयुक्त प्रजाति का चयन कर बुवाई सुनिश्चत करें। सुगन्धित प्रजातियों की नर्सरी जून के अन्तिम सप्ताह में डाले।

 धान की नवीनतम् प्रजातियाॅ निम्नवत् हैः- 

अगेती (90-95) दिन: नरेन्द्र-97,CO-51 मध्यम अवधि (120-125) दिन: नरेन्द्र-2064, नरेन्द्र-2065, शियाट्स धान-4, लंबी अवधि (130-145) दिन: पूषा-44, बी.आर. 106, उन्नत सांभा मंसूरी, वी0पी0टी0 5204, सांभा सब-1, जल भराव वाले क्षेत्र: एन.डी.आर. 8002, एम.टी.यू.-7029, सुगन्धित धान: लालमति, पूषा बासमती 1637, एन.डी.आर. 6244, कालानमक इम्पूब्ड, मालवीय 917, उन्नत कालानमक (बौना) 

 बीज को क्रय करते समय सदैव संस्तुति प्रजातियों का ही चयन करें तथा अविश्वनीय जगहों से बीज न क्रय करें तथा विना बीज शोधित किये हुए बुवाई कदापि न करें। धान की नर्सरी डालते समय ध्यान रखे कि मृदा उपजाऊ तथा उचित जल निकास वाली हो। 1.00 हे0 में धान की रोपाई के लिए 1000 वर्गमी0 क्षेत्रफल में नर्सरी लगायें। नर्सरी डालने हेतु भूमि की दो से तीन बार गहरी जुताई कर पाटा लगायें एवं खेत को समतल करें। खेत को 1.25 से 1.50 मीटर चैडी क्यारी में बांट लें। 1000 वर्गमी0 क्षेत्रफल में नर्सरी डालने हेतु 600-800 किग्रा. गोबर की सडी खाद, 8-12 किग्रा. यूरिया, 15-20 किग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट, 5-6 किग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश, 2.0-2.5 किग्रा. जिंक सल्फेट एवं कीट व्याधि के बचाव हेतु नीम की खली 25 किग्रा. तैयारी के समय अच्छे से मिला दें। बीजाई करने से पूर्व 6 ग्राम स्टेपप्टोसाइक्लीन तथा 50-60 ग्राम कापर आक्सीक्लोराइड पानी में घोलकार बीज को 12-18 घंटे तक भिगोयें तत्पश्चात् पानी से बीज निकालकर थोडी देर छाया में सुखा लें फिर भीगे धान में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम पाउडर प्रति किग्रा. बीज की दर से मिलाकर बीज को शोधित कर लें। क्यारी बनाने के बाद 5 सेमी पानी भर दें एवं अंकुरित उपचारित बीज को समान रूप से शाम के समय बीजाई करें। अधिक जानकारी के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया बस्ती से संपर्क करें।

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