अधिक लाभ के लिए बौने कालानमक धान की खेती करें

 अधिक लाभ के लिए बौने कालानमक धान की खेती करें

 नगर बाजार |शकील खान

कृषि विज्ञान केन्द्र, बस्ती के अध्यक्ष, प्रोफेसर एस0एन0 सिंह ने अवगत कराया कि केन्द्र पर बौने कालानमक धान की विभिन्न लाइनों के ट्रायल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूषा, नई दिल्ली के सहयोग से लगाया गया था जिसमें से 2 लाइनों का उत्पादन बहुत ही अच्छा प्राप्त हुआ था। उक्त लाइनों (प्रजातियों) की उपज 45 से 48 कु0 प्रति होक्टेअर पायी गयी है तथा इनके पौधों की लम्बाई 90 से 95 सेन्टीेमीटर तक रही जो मंसूरी व सरजू 52 की ऊॅचाई से मिलती जुलती है। इस बौने कालानमक के पकने की अवधि 140-145 दिन है जिससे धान काटने के उपरान्त गेंहूॅ की बुवाई समय से की जा सकती है।


बौने कालानमक धान की उपरोक्त अच्छाइयों के कारण यह किसानों के लिये उपयुक्त है। एक हेक्टेअर कालानमक धान की रोपाई हेतु 25 से 30 किलोग्राम बीज, 20-25 कुन्तल कम्पोस्ट की खाद, 70-75 किलोग्राम सरसों या नीम की खली, एवं एन0पी0के0 120ः60ः40 की दर से तथा नर्सरी डालने हेतु 800-1000 वर्ग मीटर खेत की आवश्यकता होती है। इसकी नर्सरी डालने हेतु उपयुक्त समय जुलाई का प्रथम सप्ताह तथा रोपाई के लिये जुलाई के अन्तिम सप्ताह है। इसकी रोपाई में एक स्थान पर 2-3 पौधे लगते है। नर्सरी डालते समय बीज का शोधन अवश्य करना चाहिए। 10 किग्रा बीज के लिए 4 ग्राम स्टेªप्टोसाइक्लीन तथा 25 ग्राम कापर आक्सीक्लोराइड को 30-35 ली0 पानी में घोलकार बीज को 12-18 घंटे तक भिगोयें तत्पश्चात् पानी से बीज निकालकर थोडी देर छाया में सुखा लें फिर भीगे धान में 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम पाउडर प्रति किग्रा. बीज की दर से मिलाकर बीज को शोधित कर लें। 

 किसान भाई बौने कालानमक धान की खेती कर अधिक आय प्राप्त कर सकते है। बौना कालानमक धान का बीज, विक्री हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया, बस्ती पर उपलब्ध है। इच्छुक किसान भाई कार्यालय अवधि में केन्द्र से बीज प्राप्त कर सकते है। किसान भाई जनपद में पुनः कालानमक का हब तैयार करके बाहर के जनपदों में चावल भेजने का कार्य कर अपनी आय में बृद्धि कर सकते है। पिछले वर्ष जनपद के किसानों ने इस प्रजाति का उत्पादन 40-45 कु0 प्रति हेक्टेअर प्राप्त किया था। बौना कालानमक धान, निचली तथा जलभराव वाले क्षेत्रों के लिये बहुत ही उपयोगी है।

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