टीबी को मात देकर अब दूसरे मरीजों को दिखा रहे राह
- टीबी उन्मूलन में मददगार बन रहे हैं परवीन कुमार
- पढ़ाई के दौरान हो गयी थी टीबी, जारी रखी शिक्षा
बस्ती। देश से क्षय रोग यानि टीबी के खात्मे के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में टीबी चैम्पियन बड़े मददगार बन रहे हैं। टीबी के प्रति लोगों में फैली भ्रांतियों को दूर करने के साथ ही संभावित मरीजों को अस्पताल तक लाकर जांच कराने से लेकर उनकी दवा पर नजर रखने की जिम्मेदारी यह टीबी चैम्पियन निभा रहे हैं। सदर ब्लॉक के लकड़ा गांव निवासी परवीन कुमार उन चैम्पियन में से एक हैं।
परवीन कुमार ने बताया कि इंटरमीडिएट पास करने के बाद वर्ष 2017 में जब वह स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे , कि उसी दौरान उन्हें बुखार व खांसी की समस्या शुरू हुई। पिता को टीबी का शक हुआ तो टीबी क्लीनिक में लाकर बलगम की जांच कराई। उनकी टीबी रिपोर्ट निगेटिव आई। चिकित्सक की सलाह पर मई 2017 में जब एक्स-रे जांच कराई तो उसमें रोग सामने आया। चिकित्सक ने क्लीनिकली टीबी रोगी के तौर पर दवा शुरू कराई।
सीएचसी मरवटिया से नि:शुल्क दवा मिलती थी। उनके लिए वह क्षण काफी कठिन था, , लेकिन चिकित्सक ने यह भरोसा दिलाया था कि अगर समय से दवा का कोर्स पूरा कर लेंगे तो रोग जड़ से समाप्त हो जाएगा। इसी के साथ दवा खाते रहेंगे तो परिवार के अन्य लोग भी टीबी से बचे रहेंगे। दो भाई और दो बहन में परवीन चौथे नंबर पर हैं। परिवार के लोगों ने साफ-सफाई, , दवा व खाने-पीने पर पूरा ध्यान दिया। उस समय तक नि:क्षय पोषण योजना नहीं शुरू हुई थी। इस बीच परवीन ने चिकित्सक की सलाह पर अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। वह बताते हैं, “हर रोज दवा खाने से ऊब जाता था, शरीर में गर्मी आने लगती थी, लेकिन यह सोचकर दवा खाता था कि कोर्स पूरा होने के बाद मैं भी सामान्य लोगों की तरह जीवन गुजार सकूंगा। छह माह बाद कोर्स पूरा होने पर दोबारा नवम्बर 2017 में एक्स-रे कराया तो रिपोर्ट ठीक मिली। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब ज्यादा समय टीबी मरीजों की सेवा में दे रहा हूं।”
टीबी चैम्पियन ने बढ़ाया हौसला तो मिली टीबी से मुक्ति
गांधी नगर निवासी 35 वर्षीय स्वीटी (बदला हुआ नाम) ओपेक अस्पताल कैली में फॉलोअप चेकअप के लिए आई थीं। उन्होंने बताया कि काफी दिन से खांसी व शाम को बुखार होने और भूख कम लगने की समस्या थी। कैली अस्पताल दिखाने आई थीं तो वहां परवीन कुमार से मुलाकात हुई। उन्होंने पूरा हाल सुना तो ले जाकर कैली के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण गौतम को दिखाया। उन्होंने नौ नवंबर 2021 को बलगम की जांच कराई तो रिपोर्ट में टीबी की पुष्टि हुई। सीबीनॉट मशीन से भी हुई जांच में टीबी की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया, “परिवार के साथ रहने के कारण मैं उस समय डर गई, लेकिन परवीन कुमार ने समझाया कि एक बार दवा शुरू होने के बाद रोगी से किसी तरह का संक्रमण नहीं फैलता है। 15 नवंबर 2021 से दवा शुरू की। मुफ्त में टीबी क्लीनिक से दवा ले जाती थी, परवीन कुमार फोन कर दवा व स्वास्थ्य के बारे में पूछते रहते थे। नि:क्षय पोषण योजना का भी लाभ मिला। पहली मई 2022 को दोबारा हुई बलगम जांच में रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद चिकित्सक ने पूरी तरह स्वस्थ बताया। किसी तरह की समस्या होने पर अब तत्काल चिकित्सक से सलाह लेती हूं।

