बस्ती: हरीश दरवेश की लिखी ग़ज़लों का संग्रह ‘‘हमारी सदी में’’ का प्रेस क्लब सभागार में हुआ भव्य लोकार्पण

 हरीश दरवेश की लिखी ग़ज़लों का संग्रह ‘‘हमारी सदी में’’ का प्रेस क्लब सभागार में हुआ भव्य लोकार्पण

बस्ती। हरीश दरवेश की लिखी 94 ग़ज़लों का संग्रह ‘‘हमारी सदी में’’ का लोकार्पण मासिक पत्रिकार अनुराग लक्ष्य के बैनर तले प्रेस क्लब सभागार में विद्वतजनों के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। वक्ताओं ने पुस्तक की गहन समीक्षा की और सभी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर विधिवत पूजन के बाद कार्यक्रम की शुरूआत हुई। कार्यक्रम का संचलान प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने किया।

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुये जाने माने साहित्यकार अष्टभुजा शुक्ल ने कहा हरीश दरवेश एक परिपक्व रचनाकार हैं। वे असहमतियों के कवि नही हैं। उनका जीवन वृत्त संघर्षों से भरा है। ‘‘हमारी सदी में’’पुस्तक की एक एक रचना वर्तमान से लड़ती हुई और हालातों पर प्रहार करती हुई दिखती है। उन्होने हरीश दरवेश की गजल ’’शिकारी देखिये इस दौर का कितना सयाना है, हमारा तीर भी है और हम पर ही निशाना है’’ पढ़कर वर्तमान परिदृश्य पर प्रहार किया।

विशिष्ट अतिथि प्रख्यात आलोचक डा. रघुवंशमणि त्रिपाठी ने कहा गजल लिखना अलग तरह की कला है। हरीश की गजलों में नई विधा देखने को मिलती है। उन्होने हरीश दरवेश की गजल ‘‘चाभी भरने पे भी नही चलती मेरी गुड़िया, पहले जैसी अब उछलती नही मेरी गुड़िश’’ पढ़कर ‘‘हमारी सदी में’’ पुस्तक की सराहना की। डा. वी.के. वर्मा, डा. रामनरेश सिंह मंजुल, दीपक रूहानी, डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’, रामकृष्ण लाल जगमग, मजहर आजाद, डा. राजेन्द्र सिंह राही, केडी मिश्रा, सतेन्द्रनाथ मतवाला, सुशील सिंह पथिक, संध्या दिक्षित, अर्चना श्रीवास्तव, डा. पारस वैद्य, श्याम प्रकाश शर्मा, सागर गोरखपुरी, अफजल हुसेन आदि ने ‘‘हमारी सदी में’’ के बारे में विस्तार से अपने विचार व्यक्त किया।

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