45 लोगों की जांच में हुई एक फाइलेरिया मरीज की पहचान
जनवरी से लेकर जून तक फाइलेरिया क्लिनिक में की गयी जांच
फाइलेरिया क्लीनिक में प्रत्येक बुधवार को होती है रात आठ बजे से 11बजे तक जांच
बस्ती। जिला अस्पताल परिसर में मौजूद फाइलेरिया विभाग में संचालित क्लीनिक में पहली जनवरी से अब तक 45 लोगों ने फाइलेरिया की जांच कराई। जांच के जरिये एक नये फाइलेरिया मरीज की पहचान हुई है। मरीज को दोनों पैर में हल्की सूजन है । उन्हें व्यायाम और साफ सफाई का तरीका सिखाया गया है ताकि यह सूजन बढ़ने न पाए । साथ ही एमएमडीपी किट भी विभाग की ओर से दिया गया है। फाइलेरिया संक्रमण के कारण होने वाले लिम्फोडिमा में हाथ, पैर और स्तन में सूजन हो जाता है जो सही देखरेख न करने से गंभीर दिव्यांगता का रूप भी ले सकता है। , जांच में एक मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। मरीज को क्लीनिक से दवा दी जा रही है।
शहर से सटे हवेलिया खास गांव निवासी 48 वर्षीय मरीज ने बताया कि उन्हें ठंड के साथ बुखार आ रहा था। दोनों पैरों में हल्की सूजन भी दिख रही थी। 12 जून को क्लीनिक में आकर जांच कराया तो पता चला कि उन्हें फाइलेरिया है।
जिला मलेरिया अधिकारी आइए अंसारी ने बताया कि क्लीनिक का संचालन पहली जनवरी 1984 से हो रहा है। यहां पर प्रत्येक बुधवार को रात में फाइलेरिया की जांच कराई जा रही है। जिन लोगों में फाइलेरिया के लक्षण होते हैं, उनके खून की जांच कराई जाती है। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उन्हें सरकारी प्रावधानों के अनुसार उपलब्ध सुविधाओं का लाभ दिया जाता है। मरीज को व्यायाम का तरीका बताया जाता है। मरीज का फॉलोअप भी किया जाता है, जिससे जटिलताएं बढ़ने न पाएं। हर साल दो से तीन मरीज क्लीनिक की जांच में फाइलेरियाग्रसित निकल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह एक लाइलाज बीमारी है। एक बार होने के बाद यह पूरी तरह इलाज से समाप्त नहीं होती है। इससे बचाव का बेहतर तरीका है कि पांच साल तक लगातार साल में एक बार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दवा जरूर खाएं तथा लक्षण दिखने पर क्लीनिक में आकर जांच कराएं। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है,इसलिए घरों के आसपास साफ सफाई रखनी चाहिए और मच्छरों से बचाव के लिए पूरे बांह के कपड़े पहनने चाहिए।
जिले में हैं फाइलेरिया के 809 मरीज
जिले में हाथी पांव वाले कुल 809 मरीज हैं। इन मरीजों को मार्बिडिटी मैनेजमेंट के तहत किट प्रदान कर इसके इस्तेमाल का तरीका बताया जा चुका है। इसी के साथ 447 मरीज को हाइड्रोसील की समस्या है। इसमें 308 का ऑपरेशन कराया जा चुका है।
यह हो सकते हैं रोग के लक्षण
- ठंडक के साथ बुखार आना।
- शरीर में गिल्टी हो जाना।
- पैरों के निचले हिस्से में नसों में दर्द होना।
- लटकते अंगों, पैर, हाइड्रोसील व स्तन में दर्द होना।
रोगी इन बातों का करें परहेज
- पैरों को ज्यादा देर तक लटका कर न बैठें।
- फाइलेरिया प्रभावित अंग में उसी नाप के जूते पहनें
- नंगे पैर न निकलें


 
 
 
