हरितालिका व्रत से धन, धान्य, सुख, समृद्धि और चिरंजीवी पति एवं पुत्र मिलते हैं-ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री
हिन्दू धर्म में तीज-पर्व त्योहारों की कोई कमी नहीं है। सभी त्योहारों का अपना महत्व होता है। तीज पर्व इन्हीं में से एक है। तीज साल में तीन बार मनाया जाता है। पहला हरियाली तीज, दूसरा कजरी तीज और तीसरा हरतालिका तीज। इन तीनों में से हरतालिका तीज को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। हरतालिका तीज का पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह बहुत कठिन और निर्जल व्रत है।
बता दें कि इस बार बहुत ही ख़ास योग संयोग के साथ आया है यह त्यौहार ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री ने बताया कि भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 6 सितंबर दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। इसलिए हरितालिका तीज का निर्जला व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। बताया कि इस दिन ग्रह, नक्षत्र भी बहुत अच्छी स्थिति में होंगे। वणिज करण के साथ हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा।6 सितंबर की सुबह के समय पहले दुर्लभ शुक्ल योग और फिर ब्रह्म योग बन रहा है। साथ ही सुबह 09.25 बजे से 7 सितंबर सुबह 06.02 बजे तक रवि योग और रात 10.15 बजे तक शुक्ल योग रहेगा। शुक्रवार होने के नाते इस दिन गौरी शंकर का भी बड़ा अद्भुत योग है।यह अद्भुत और शुभ संयोग माने जाते हैं। इनमें पूजा पाठ करने से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है।इस दौरान चंद्रमा तुला राशि में रहेगा। ऐसे में पूजा-पाठ और अनुष्ठान से जुड़े काम करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 02 मिनट से 08 बजकर 33 मिनट तक है। इस मुहूर्त में पूजा करने से साधक को दोगुना फल की प्राप्ति होगी। हरतालिका तीज पर अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। सुहागिनों के इस तप साध्य व्रत को पुराणों में महाव्रत कहा गया है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा करती हैं। भारतीय संस्कृति में विवाह सबसे उत्तम एवं पवित्र संस्कार माना गया है। महिलाओं के लिए सौभाग्यवती होना पूर्व जन्म के अर्जित पुण्य का प्रभाव माना जाता है, इसलिए महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए विभिन्न प्रकार का व्रत करती हैं।हरतालिका तीज का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याओं के लिए व्रत में फलहार पर भी रख सकती हैं। समस्त इच्छाओं का पूर्ति करने वाला है यह व्रत उसी में से एक है हरितालिका तीज
हरतालिका तीज व्रत कथा
तीज के संबंध में कथा है कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री गिरिजा अर्थात पार्वती ने सबसे पहले तीज व्रत किया था। कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री जब विवाह के योग्य हुईं तो पर्वतराज चिंतित हो गए तथा योग्य वर की तलाश में जुट गए। ऐसे में ही एक समय नारद मुनि भगवान विष्णु के विवाह प्रस्ताव लेकर पर्वतराज हिमालय के पास पहुंचे तो हिमालय तुरंत तैयार हो गए। लेकिन उनकी पुत्री गिरिजा उर्फ पार्वती शिव से विवाह करना चाहते थे।
जिसमें पिता के राजी नहीं होने पर गिरिजा वन चली गईं तथा अपने आत्मीय वर शिव की बालू एवं मिट्टी से प्रतिमा बनाकर पूजन करते हुए निर्जला रहकर नदी तट पर पूरी रात जगी रहीं। गिरिजा द्वारा की जा रही पूजा से शिव का आसन हिल गया और वे आये और देवी से पूछा कि आप क्या चाहती हैं। शिव के बहुत पूछने पर गिरिजा ने कहा कि यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मैं आपकी पत्नी बनने का वरदान चाहती हूँ। भगवान यह आशीर्वाद देकर अंतर्ध्यान हो गए।इधर, पर्वतराज हिमालय अपनी पुत्री को खोजते हुए नदी किनारे पहुंचे तो पुत्री को शिव की उपासना करते पुत्री को देखकर पूरी जानकारी ली तथा पुत्री की इच्छा को ही सर्वमान्य बताया। कहा जाता है कि जिस दिन पार्वती ने घर छोड़कर नदी किनारे बालू एवं मिट्टी से शिव की प्रतिमा बनाकर निराहार रह पूजन किया, वह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में हस्त नक्षत्र था। यह मुहूर्त अखंड सौभाग्य को देने वाला योग है, जो सौभाग्यवती स्त्री यह व्रत करती है वह आजीवन अखंड सौभाग्यवती रहती है। उसी दिन से तीज व्रत और पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस व्रत से धन, धान्य, सुख, समृद्धि और चिरंजीवी पति एवं पुत्र मिलते हैं।
ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री
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