डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र कृत ‘ रामामृत’ काव्य संकलन का लोकार्पण

 डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र कृत ‘ रामामृत’ काव्य संकलन का लोकार्पण


राष्ट्रीय कवि सम्मेलन- अब तो अपने लोगों से ही न जाने क्योें डर लगता है

साहित्यिक संस्था शव्द सुमन ने किया विभिूतियों को सम्मानित

बस्ती । प्रेस क्लब सभागार में साहित्यिक संस्था शव्द सुमन द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र कृत ‘ रामामृत काव्य संकलन का लोकार्पण किया गया। इसी क्रम में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के साथ ही विशिष्ठ जनों को उनके योगदान के लिये सम्मानित किया गया।

प्रसिद्ध कवि महेश प्रताप श्रीवास्तव ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि ‘‘ रामामृत काव्य संकलन’ मर्यादा के राम पर केन्द्रित श्रेष्ठतम रचना है जिसे डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने अपनी अनुभूतियों के साथ जिया है। यह कृति नई पीढी को परिवार, समाज को श्रीराम चरित के महत्व से परिचित करायेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामनरेश सिंह मंजुल ने कहा कि शव्द सुमन की पहल सराहनीय है। डा. राम कृष्ण लाल जगमग राष्ट्रीय कवि सम्मेलनोें के साथ ही अपने जड़ो से जुड़े हैं और नई पौध को ऊर्जा दे रहे हैं। प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, डा. सत्यव्रत, डा. सुशील सिंह, डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि साहित्यिक आयोजन आज की आवश्यकता है जिससे नई पीढी संवेदनशील होने के साथ ही अपने समाज के सत्य को समझ सके। डा. वी.के. वर्मा और अंकुर वर्मा ने कहा कि रामामृत काव्य संकलन कालजयी साबित होगी। वक्ताओं ने डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र कृत ‘ रामामृत काव्य संकलन के विविध पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि उन्होने अपने राम को जिस तरह से समझा गुरू कृपा से उसे स्वर दिया।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन में जन कवि जमुना प्रसाद उपाध्याय ने यूं कहा- नदी के घाट पर भी यदि सियासी लोग बस जाये, तो प्यासे ओठ, एक-एक बूंद पानी को तरस जायें, गनीमत है कि मौसम पर हुकुमत चल नहीं सकती, नही तो सारे बादल उनके खेतोें में बरस जायें’ सुनाकर राजनीति पर करारा व्यंग्य किया। डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी ‘दीपक’ ने कुछ यूं कहा ‘ ऐ अब्र हमें तू बार-बार सैलाब की धमकी देता है, हम तो दरिया की छाती पर तरबूज की खेती करते हैं, सुनाकर वातावरण को नई ऊर्जा दी। डा. हेमा पाण्डेय की रचना ‘ पग महावर लगाया तुम्हारे लिये, रूप मैंने सजाया तुम्हारे लिये, सात जन्मों तलक तुम हमारे रहो, चांद को जल चढाया तुम्हारे लिये, सुनाकर प्रेम गीत को नया स्वर दिया। छंद विधा के श्रेष्ठ रचनाकर सतीश आर्य ने कुछ यूं सुनाया ‘ जब-जब अपराधिनी सिया को त्यागते हैं राम, तब-तब पनाह देती है एक झोपड़ी, सुनाकर कवि सम्मेलन को नई ऊचाई दी। महेश प्रताप श्रीवास्तव की पंक्तियां‘ बात ये है नहीं कि लोग लड़ाते हैं हमें, बात ये है कि हम आपस में लड़ते क्यों है’ को श्रोताओं ने सराहा। डा. वी.के. वर्मा ने कुछ यूं कहा ‘ जयचंद एक मर गया तो क्या हुआ वर्मा, अब भी हमारे देश में जयचंद बहुत है, सुनाकर वाव वाही लूटी। विनोद उपाध्याय ‘हर्षित’ की रचना ‘ इतनी दरिया में रवानी है अभी, प्यास मुद्दत की बुझानी है अभी’ को श्रोताओं ने सराहा। संचालन कर रहे डा. राम कृष्ण लाल जगमग ने यूं कहा ‘ भारी-भारी सर लगता है, घर भी अब बेघर लगता है, अब तो अपने लोगों से ही न जाने क्योें डर लगता है, सुनाकर चिन्तन की धारा को स्वर दिया।

  इसी कड़ी में प्रतिभा गुप्ता, डा. वेद प्रकाश मणि, डा. अर्चना श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव ‘अश्क’, डा. अफजल हुसेन अफजल, जगदम्बा प्रसाद भावुक, दीपक सिंह प्रेमी, सागर गोरखपुरी, डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’ रहमान अली ‘रहमान’ आदित्यराज आदि ने सम सामयिक रचनाओं के माध्यम से वातावरण को सरस बना दिया। इस अवसर पर साहित्यिक संस्था शव्द सुमन द्वारा कवियों और प्रबुद्धजनों अंकुर वर्मा, श्याम प्रकाश शर्मा, स्कन्द शुक्ल, राकेश गिरी, अनुराग श्रीवास्तव, सर्वेश श्रीवास्तव, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, बी.के. मिश्र, विजय मिश्र, प्रतिभा मिश्रा आदि को उनके योगदान के लिये अंग वस्त्र, सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

   

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