नव दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन
श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता
यूपी,बस्ती। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था।
रास्ते में आकाशवाणी हुई- 'हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।' यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ।
तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- 'मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है?'
कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया।
वसुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था।
उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ 'माया' थी।
जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- 'अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं।
तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।'
उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए।
अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है।
उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- 'अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।
"एक बार बोलिए कृष्ण भगवान की जय,सुदर्शन धारी की जय"
उक्त वर्णन आचार्य पंडित रवि शंकर शास्त्री जी महराज द्वारा सुनाई गई।
बस्ती जिले के कप्तानगंज ब्लाक के परसपुरा ग्राम में संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया है।
कथा के मुख्य यजमान के रूप में उदय शंकर उपाध्याय एवं श्रीमती उर्मिला देवी द्वारा कथा श्रवण की जा रही है।
कृष्ण जन्म के पावन अवसर पर कथा प्रेमियों की अपार भीड़ देखने को मिली।मिश्रा साउंड सर्विस के साथ वाद्य यंत्रों पर सुरेन्द्र सिंह (आर्गन बादक) पवन (तबला वादक) की शानदार युगलबंदी ने मौजूद लोगों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायक दुर्गेश पांडेय की उपस्थिति बनी रही।
उपस्थित श्रोता के रूप में दया शंकर उपाध्याय,अशोक उपाध्याय,अनिल कुमार, प्रदीप शंकर,अमितेश कुमार, रीतेश उपाध्याय, पावस उपाध्याय, अजय मिश्रा,कुशाग्र,अभिषेक, मार्तण्ड, अर्पित, अर्चित, सात्विक, आनंद शंकर,शाश्वत सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।
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