बस्ती: पटाखे फोड़ने से ओर बढ़ सकता है प्रदूषण, सांस व कोविड पॉजिटिव रहे लोगों की बढ़ेगी समस्या

 मौसम बदलने के साथ बढ़ जाता है हवा में प्रदूषण

- पटाखे फोड़ने से ओर बढ़ सकता है प्रदूषण

- सांस व कोविड पॉजिटिव रहे लोगों की बढ़ेगी समस्या

बस्ती। प्रदेश शासन ने प्रदूषण की दृष्टि से संवेदनशील जिलों में हरित पटाखे से आतिशबाजी करने की अनुमति दे दी है। बस्ती जिला भले ही इमसें शामिल नहीं है, लेकिन आम लोगों के स्वास्थ्य की गंभीरता को देखते हुए सभी को पटाखा फोड़ने में एहतियात की जरूरत है। एक ओर जहां ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों से परहेज की जरूरत है, वहीं प्रदूषण से खुद के बचाव  के लिए सावधानी बरतने की भी उतनी आवश्यकता है। सांस फूलने के मरीज व पूर्व में कोविड पॉजिटिव रह चुके लोगों के लिए धुआं काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। यह कहना है वरिष्ठ फिजीशियन व नगरीय पीएचसी नरहरिया के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. आरपी सिंह का।

 डॉ. सिंह ने आम लोगों से अपील किया कि वह दीपावली पर केवल इको-फ्रेंडली पटाखे ही फोड़े। हानिकारक पटाखे फोड़ने से परहेज करें। उन्होंने कहा कि दशहरा के बाद से ही हवा में नरमी आ जाती है और हवा गर्मी की तुलना में अधिक प्रदूषित होने लगती है। ऐसे में पटाखा फोड़ने से प्रदूषण और बढ़ जाता है।

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मॉस्क से मिलेगी ट्रिपल सुरक्षा

मॉस्क ट्रिपल सुरक्षा देता है। मास्क आपको धूल, धुआं और कोविड संक्रमण तीन चीजों से बचाता है। अगर आप कोरोना की पहली या दूसरी लहर में कोविड पाजिटिव रह चुके हैं तो इस दिवाली पर सावधान रहें। प्रदूषित हवा आपको नुकसान पहुंचा सकती है। कोविड पॉजिटिव रहे काफी लोगों के फेफड़े अभी भी काफी कमजोर है। ऐसे लोगों के लिए यह प्रदूषित हवा जहर के समान है। इसके अलावा काफी लोग ऐसे हैं, जो संक्रमित तो हुए, लेकिन उन्होंने जांच नहीं कराई। दुकान से दवा खाकर ठीक हो गए हैं। ऐसे लोगों की संख्या काफी हो सकती है। इन लोगों को भी प्रदूषित हवा दोबारा समस्या पैदा कर सकती है। लापरवाही में जान जोखिम में पड़ सकती है।

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सांस के रोगी क्या करें एहतियात-

- मॉस्क लगाकर ही बाहर निकलें

- आवश्यक हो तभी बाहर निकलें

- इनहेलर साथ लेकर बाहर निकलें

- बंद कमरे में ज्यादा देर नहीं रहें

-प्राणायाम, डीप ब्रीदिंग अभ्यास करें

- खाने में मसाले का उपयोग कम करें

- समस्या होने पर चिकित्सक से संपर्क करें

इन लक्षणों पर लें परामर्श

- सांस तेज या सांस लेने में दिक्कत होने पर

- घबराहट या खांसी आधिक आने पर

- सीने में दर्द या थकान महसूस होने पर

- स्किन, होंठ या नाखूनों पर नीले रंग होने पर



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