झारखण्डेश्वर नाथ धाम शिव मन्दिर बना आस्था का केंद्र
यूपी, बस्ती,गायघाट। मनौतियों के पूरा होने का स्थान माना जाता है झारखण्डेश्वर नाथ धाम शिव मन्दिर गायघाट, मुख्य मन्दिर के अलावा यहां अन्य देवी-देवताओं के आधा दर्जन मन्दिर बने हुए हैं। यहां साल के बारहों महीने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
बुजुर्ग बताते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने विवाह के उपरान्त जनकपुर से अयोध्या जाते समय एतिहासिक राम-जानकी मार्ग स्थित इस मन्दिर परिसर के मनोरम बगीचे में कुछ समय विश्राम किये थे।
कुदरहा विकास क्षेत्र के पौराणिक श्री राम जानकी मार्ग पर स्थित गायघाट कस्बे के उत्तर में झारखण्डेश्वर नाथ धाम सदियों से आस्था का केंद्र बना हुआ है। अन्य महीनों के अलावा विशेषकर महाशिवरात्रि व श्रावण मास में यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां पर सच्चे मन से मांगी हुई मुरादे अवश्य पूरी होती हैं। सावन मास में कांवरिया अयोध्या धाम से पवित्र सरजू का जल भरकर यहां पर जलाभिषेक करते हैं। अन्य जनपद के लोग भी यहां आकर पूजा अनुष्ठान कर भंडारा करते रहते हैं। भगवान भोलेनाथ के दरबार में लोगों की मुराद पूरी होने के कारण यह स्थान आस्था का प्रतीक माना जाता है। कालांतर में बाबा हनुमान दास की तीसरी पीढ़ी के संत बाबा चेतनदास ने ग्रामीणों की सहायता से इस स्थान पर विशेष मंदिर व यज्ञशाला का निर्माण करवाया था। सन 2008 में ग्राम प्रधान राजेन्द्र प्रसाद लाला ने लगभग सात लाख रुपए की लागत से यहां पर मॉडल तालाब, जिसमें सीढियां, बच्चों के खेलने के साधन आदि का निर्माण करवाया। श्रद्धालुओं को हो रही असुविधा को देखते हुए सांसद हरीश द्विवेदी ने वर्ष 2018 में यहां शुलभ काम्प्लेक्स का निर्माण कराया। धीरे धीरे यहां पर कुश्ती, कबड्डी का प्रशिक्षण दिया जाने लगा। यहां से लोग निकल कर प्रशासन, सेना व पुलिस में भर्ती हुए। देखते ही देखते इस स्थान की महिमा दूरदराज के क्षेत्रों में भी फैल गई। व गैर जनपद संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर सहित अन्य जनपदों से श्रद्धालु यहां आने लगे। और मनोकामना पूरी होने पर पूजा पाठ, हवन, कलश आदि का अनुष्ठान करने लगे। महंत सुरेश चंद्र गिरी ने बताया कि यह स्थान राम जानकी मार्ग पर स्थित होने के कारण कई जनपदों में महत्वपूर्ण माना जाता है। और हमेशा यहां अनुष्ठान व भंडारे का कार्यक्रम आयोजित होता रहता है। वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम सागर त्रिपाठी, शिक्षक बालकृष्ण त्रिपाठी उर्फ पिन्टू बाबा, व्यवसायी धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि भोलेनाथ जी की सेवा वर्षों से कर रहा हूं। भोलेनाथ जी की कृपा से परिवार में सुख शांति के अलावा सभी मनोरथ कार्य पूरा हो रहे हैं।
मन्दिर का इतिहास
गायघाट। सैकड़ों वर्षो पूर्व कस्बे के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत बाबा हनुमान दास ने सपने में देखा कि गांव के उत्तर स्थित पोखरे के पास एक चमकदार पत्थर पड़ा हुआ है। जिसमें से एक विशेष प्रकार की रोशनी निकल रही है। सुबह होते ही यह बात पूरे गांव में फैल गई तो उस स्थान को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने वहां जाकर देखा तो झाड़ियों के बीच पीपल के जड़ में वह पत्थर दिखाई दिया। तो लोगों ने उस पत्थर को निकालने का असफल प्रयास किया। बाद में मंदिर के महंत बाबा हनुमान दास ने लोगों से कहा कि वह एक अलौकिक शिवलिंग है। तभी से भगवान भोले के प्रति आस्था जागृति हुई और लोग वहां पूजा पाठ करने लगे। धीरे-धीरे इस स्थान से तमाम लोगों को पुत्र प्राप्ति के अलावा नौकरी और शिक्षा में सफलता मिली जिससे यह स्थान प्रभावशाली हो गया और धीरे-धीरे लोग निर्माण कार्य करवाने लगे।
मंदिर का रहस्य
गायघाट। पीपल के वृक्ष को चीर कर निकला शिवलिंग बृक्ष के साथ साथ बढ़ता गया जमीन से शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 13 फीट है आश्चर्य की बात यह है कि पीपल के पेड़ के तीन भाग होने के बाद भी आज भी यह वृक्ष हरा भरा बना हुआ है जिला मुख्यालय से मंदिर की दूरी 28 किलोमीटर है बस्ती शहर के कचहरी टैक्सी स्टैंड से राम जानकी मार्ग गायघाट बाजार आना होता है बाजार से महज 100 मीटर पैदल चलकर मंदिर पर पहुंचा जा सकता है।
3- मन्दिर परिसर में स्थित यज्ञशाला
