बखडौरा में श्रीराम राज्याभिषेक के साथ श्री रुद्र महायज्ञ की हुई पूर्णाहुति,
गायघाट। जन्मभूमि, मातृभूमि ही देवभूमि एवं सबसे बड़ा तीर्थ है। श्रीरामचरितमानस में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के द्वारा की गई लीला से बड़ो का सम्मान, स्वयं की समीक्षा एवं ईमानदारी पूर्वक कर्तब्य पालन सहित हमें आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है दानवबीर बाबा कुटी बखड़ौरा में कथा के अंतिम पड़ाव में अयोध्याधाम से आये मानस मर्मज्ञ अंकित दास जी महराज ने कहा कि माता शबरी से बिदा लेकर प्रभु श्रीराम की भेट किष्किन्धा पर्वत पर बिप्र रूप धारी हनुमान जी से होती है। बालि का बध कर दुखी सुग्रीव का राज्याभिषेक करते है। माँ सीता की खोज में हनुमान जी समुद्र पार करते हैं। रास्ते में देवताओ द्वारा हनुमान जी के बल पौरुष की परीक्षा होती है। लंका में प्रवेश करने पर रामभक्त बिभीषन से भेट होती है। अशोक वाटिका में माँ सीता जी का दर्शन कर लंकावासियो का मानमर्दन कर लंकादहन करते है। लंकापति रावण द्वारा अपमानित होने पर बिभीषन श्रीराम की शरण में जाते है। हठयोगी रावण संसार सागर से राक्षस प्रबृत्ति के लोगो को मोक्ष दिलाने हेतु भयंकर युद्ध करता है। बिभीषन का राज्याभिषेक कर प्रभु अवधधाम पधारते है। गुरु बशिष्ठ द्वारा भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक होता है। सप्तऋषि देव गंधर्व आदि फूलो की बर्षा करते है। कथा के दौरान बच्चों द्वारा श्री राम के राजा विषय की झांकी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा।
श्री रामकथा में मुख्य रूप से में यज्ञाचार्य/आयोजक विजय दास, मुख्य यजमान सन्तराम मिस्त्री, राम बचन चौधरी, राम रेखा, राम फेर प्रजापति, प्रकाश, रामकुमार राजभर, राम जीत, अंगूर चौधरी, दिलीप चौधरी, राम जनक राजभर सहित बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे।
दानवबीर बाबा कुटी बखड़ौरा मे श्रीराम कथा की अमृत वर्षा करते अंकित दास जी महाराज
