कृषि विज्ञान केंद्र बंजरिया में नैनो यूऱिया, नैनो डीएपी पर आधारित सहकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ पी.के. मिश्रा ने कहा कि ठोस उर्वरकों की अपेक्षा जल विलेय उर्वरकों के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि होती है। केंद्र के वैज्ञानिक आर. बी. सिंह ने कहा कि इसको बायो-डी कंम्पोजर के प्रयोग से फसलों के अवशेष और अन्य बायोवेस्ट से कंपोस्ट बनता है। मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधियां बढ़ाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. वी.बी. सिंह ने कहा कि इफको का सागरिका समुद्री शैवाल के रूप में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हार्माेन से परिणाम स्वरुप पौधों की तीव्र विकास होता है। डॉ. प्रेम शंकर ने तरल कंर्जाेटिया (एन.पी.के.) के द्वारा बीज उपचार, जड़ उपचार एवं मृदा उपचार किया जाता है, जिससे पैदावार बढती है। केन्द्र के वैज्ञानिक हरिओम मिश्रा ने नैनो यूरिया प्रयोग व इफको के खरपतवारनाषी उत्पादों के बारे में जानकारी दी और डॉ. अंजली वर्मा, गृह वैज्ञानिक ने पोषण वाटिका में तरल नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के महत्व के बारे में प्रकाश डाला। कार्यक्रम में इफको के एरिया मैनेजर शुभम ने इफको के अन्य उत्पादों के बारे में विस्तार से बताया। इस मौके पर जिले के इफको के तमाम खुदरा विक्रेता, वितरक एवं प्रगतिशील कृषक सहित केन्द्र के अन्य कर्मचारीगण उपस्थित रहें।


