भागवत कथा के चौथे दिन मनाया गया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव
बस्ती। श्रीमद् भागवत कथा में चौथे दिन सोमवार को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े आनंद और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। भगवान कृष्ण जन्मोत्सव में नन्हें बालक ने भगवान कृष्ण का रूप धारण कर उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। कथा व्यास पं0 देवस्य मिश्र ने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं। इसके बाद भी वह अपने माता-पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। श्रीमद भागवत कथा के माध्यम से भागवत व्यास पर विराजमान पंडित देवस्य मिश्र जी के मुखारविन्द से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्री हरि विष्णु ने भगवान श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया। इसी प्रकार त्रेता युग में लंकापति रावण के अत्याचारों से जब धरा डोलने लगी तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया। प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। भागवत कथा में सहयोगी के रूप में वैदिक हर्षित शुक्ला तथा अनुराग मिश्रा, मुख्य यजमान हरि श्याम कसौधन तथा मुन्नी देवी, भदेश्वर नाथ मंदिर के अध्यक्ष राजेश गिरी सहित सैकड़ो लोग मौजूद रहे।