दीपावली पर प्रकट हुई थीं महालक्ष्मी, इसलिए शुरू हुई लक्ष्मी पूजा की परंपरा

दीपावली पर प्रकट हुई थीं महालक्ष्मी, इसलिए शुरू हुई लक्ष्मी पूजा की परम्परा



पद्म पुराण कहता है कार्तिक अमावस्या पर दीप दान करने से खत्म होते हैं पाप


आज गुरुवार के दिन साल का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली है पांच दिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है और त्योहार का समापन भाई दूज के दिन होता है।

आज महालक्ष्मी पूजा और दीपावली पर्व मनाया जाएगा। भागवत और विष्णु धर्मोत्तर पुराण के मुताबिक समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की अमावस्या पर लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। वहीं, वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा है। स्कंद और पद्म पुराण का कहना है कि इस दिन दीप दान करना चाहिए, इससे पाप खत्म हो जाते हैं।

दीपावली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार दिवाली पर तुला राशि में चार ग्रहों के आ जाने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा।

कैसे करें दीपमालिका (दीपक) पूजन

एक थाली में 11, 21 या उससे ज्यादा दीपक जलाकर महालक्ष्मी के पास रखें।

एक फूल और कुछ पत्तियां हाथ में लें। उसके साथ सभी पूजन सामग्री भी लें।

इसके बाद ॐ दीपावल्यै नम: इस मंत्र बोलते हुए फूल पत्तियों को सभी दीपकों पर चढ़ाएं और दीपमालिकाओं की पूजा करें।

दीपकों की पूजा कर संतरा, ईख, धान इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं। धान भगवान गणेश, महालक्ष्मी तथा अन्य सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें।

हम आपको बताते हैं लक्ष्मी पूजन का समय

लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात्रि 08 बजकर 20 मिनट तक है। प्रदोष काल 5 बजकर 34 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट तक व वृषभ काल 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। -दीपावली पर लक्ष्मी जी की ऐसी फोटो खरीदे या मूर्ति रखें जिसमें वे भगवान विष्णु के चरणों के पास बैठी हैं।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.