मौला अली का जिक्र करना इबादत है

 मौला अली का जिक्र करना इबादत है

- हुसैनी मस्जिद में जलसा आयोजित

- अली डे के अवसर पर हुआ कार्यक्रम

बस्ती। वारिसे रसूल मौला अली के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में बुधवार रात गांधी नगर स्थित हुसैनी मस्जिद में जलसे का आयोजन हुआ। अकीदतमंदों ने अली व अहलेबैत रसूल की शान में मनकबत पेश की। हैदरी नारों से मस्जिद गूंज रही थी।


मौलाना हैदर मेंहदी ने कहा कि मौला अली का जिक्र करना इबादत है। पैगम्बरे-इस्लाम ने अपनी जिंदगी में ही आखिरी हज से लौटते समय गदीर नामक स्थान पर मौला अली को अपना वारिस घोषित किया था। समय-समय पर मौला अली की फजीलत दुनिया को बताया। पैगम्बर ने कहा था कि अली का जिक्र करना भी इबादत है। जिस तरह नमाज, रोजा व हज आदि से सवाब मिलता है, उसी तरह अली का जिक्र करने से भी सवाब मिलेगा। अली की मोहब्बत के लिए जरूरी है कि इंसान का दिल व दिमाग पाक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पैगम्बर ने अली को अपना नफ्स करार दिया था। यही कारण है कि उन्हें पैगम्बर के बाद दुनिया के तमाम बशर में सबसे अफजल माना जाता है। पैगम्बर की वफात के बाद वह लोग जिन्होंने केवल इस्लाम का भेष पहन रखा था, वह अहलैबैत के दुश्मन हो गए। अली व इमाम हसन को माविया से जंग लड़ने पर मजबूर होना पड़ा। कर्बला व अन्य जगहों पर अली की औलादों को ही शहीद किया गया। इसके बाद भी दुनिया में फैला हुआ सैयद वंश मौला अली की ही औलादे हैं।

सुहेल बस्तवी, मौलाना अली हसन, सफदर रजा, रमीज अब्बास, जौन गोपालपुरी सहित अन्य ने कलाम पेश किया।

जीशान रिजवी, शम्स आबिद, जैन, अन्नू, आले मुस्तफा, अरशद आबिद, तकी हैदर, मेराज हैदर, फहीम हैदर सहित अन्य कार्यक्रम में मौजूद रहे।

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