नवरात्रि में कैसे करें कन्या पूजन,जाने पूजन की विधि पंडित देवस्य मिश्र से

नवरात्रि के नवमी तिथि में कैसे करें कन्या पूजन, जानें पूजन की विधि पंडित देवस्य मिश्र से



आइए जाने इस नवरात्रि किस प्रकार से करें मां भगवती की अष्टमी और नवमी पर उपासना किस प्रकार से हो कन्या पूजन और किस प्रकार से मनाई जाएगी रामनवमी जानिए हमारे साथ


पंडित देवस्य मिश्र ज्योतिषाचार्य बस्ती,उत्तर प्रदेश

संपर्क सूत्र नंबर.9628203064


नवरात्रि में पूरे नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि में अष्टमी-नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। अष्टमी के दिन मां महागौरी व नवमी के दिन सिद्धिदात्री मां की उपासना की जाती है। अष्टमी व नवमी दोनों दिन कन्या पूजन करना विशेष फलदायी माना गया है। कन्या पूजन के बाद ही भक्तों के नवरात्रि व्रत संपन्न माने जाते हैं। जानिए अष्टमी व नवमी की तिथि व शुभ मुहूर्त-

अष्टमी तिथि 09 अप्रैल, शनिवार के दिन पड़ रही है। इसे दुर्गा अष्टमी भी कहते हैं। अष्टमी तिथि की शुरुआत 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से हो रही है, इसका समापन 09 अप्रैल की देर रात 01 बजकर 23 मिनटपर होगा। अष्टमी का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करना शुभ रहेगा।

कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। नवमी तिति 10 अप्रैल को रात 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी, जो कि 11 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। नवमी के  दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। नवमी के दिन सुबह के समय कन्या पूजन कर सकते हैं।

कैसे करें कन्या पूजन

कन्या भोजन से पहले कन्याओं को आमंत्रित कर उनका स्वागत करें, उनके पैर धोएं, उनका श्रृंगार करें और उसके बाद उन्हें भोजन करवाएं। भोजन में मिष्ठान और फल शामिल करना न भूलें। इसके बाद उन्हें यथायोग्य उपहार देकर उनके घर तक पहुंचाएं। किसी भी वर्ण, जाति और धर्म की कन्या को आप कन्या पूजन के लिए आमंत्रित कर सकती हैं।


कितनी कन्याओं को करें आमंत्रित

अगर आप सामर्थ्यवान हैं, तो नौ से ज्यादा या नौ के गुणात्मक क्रम में भी जैसे 18, 27 या 36 कन्याओं को भी आमंत्रित कर सकती हैं। यदि कन्या के भाई की उम्र 10 साल से कम है तो उसे भी आप कन्या के साथ आमंत्रित कर सकती हैं। यदि गरीब परिवार की कन्याओं को आमंत्रित कर उनका सम्मान करेंगे, तो इस शक्ति पूजा का महत्व और भी बढ़ जाएगा। यदि सामर्थ्यवान हैं, तो किसी भी निर्धनकन्या की शिक्षा और स्वास्थ्य की यथायोग्य जिम्मेदारी वहन करने का संकल्प लें।

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