टीबी के एमडीआर रोगियों को अब नहीं लगेगा इंजेक्शन

 टीबी के एमडीआर रोगियों को अब नहीं लगेगा इंजेक्शन

- 25 अप्रैल से एमडीआर रोगियों के उपचार में होगा बदलाव

बस्ती।  टीबी के मॉस ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) रोगियों को इंजेक्शन आधारित रेजीमेन पर नहीं रखा जाएगा। इसकी जगह उन्हें शार्टर ओरल विडाक्यूलीन कंटेनिंग रेजीमेन दवा दी जाएगी। प्रदेश में इस पर 25 अप्रैल से अमल शुरू हो जाएगा। एमडीआर के इलाज में इसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इंजेक्शन की तकलीफ से अक्सर मरीज का कोर्स अधूरा रह जाता था। इसी के साथ इंजेक्शन का कोर्स पूरा कराने में स्वास्थ्य कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके मिश्रा ने बताया कि 25 अप्रैल 2022 के बाद मिलने वाले किसी भी एमडीआर रोगी को इंजेक्शन आधारित रेजीमेन पर नहीं रखा जाएगा। पात्र एमडीआर/आरआर टीबी रोगियों के उपचार के लिए आल ओरल शार्टर बिडाक्यूलीन कंटेनिंग रेजीमेन शुरू की जाएगी। टेबलेट के रूप में यह दवा मरीजों को खिलाना आसान होगा। यह कोर्स छह माह तक का होगा। यही नहीं इंजेक्शन आधारित रेजीमेन से उपचार को बंद कर दिया जाएगा। केवल वह रोगी जिनका पहले से इंजेक्शन का कोर्स चल रहा है, उन्हें पहले की तरह उनका इलाज इंजेक्शन कंटेनिंग रेजीमेन से ही जारी रखा जाएगा।डीटीओ ने बताया कि नए कोर्स के लिए सभी दवाएं आ गई हैं, किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी।

जिले में हैं एमडीआर के 114 मरीज

जिले में वर्तमान में एमडीआर के कुल 114 मरीज हैं। आम तौर से टीबी की सामान्य दवा जिस पर असर नहीं करती है, या एमडीआर मरीज से सीधे संक्रमित होकर टीबी के मरीज बनने वाले एमडीआर श्रेणी के होते हैं। इनके उपचार के कोर्स में छह माह तक इंजेक्शन कंटेनिंग रेजीमेन शामिल है। मरीज को प्रति दिन यह इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे मरीज के शरीर का वह अंग जहां इंजेक्शन लगाया जाता है, सूज जाता है, मरीज को काफी पीड़ा होती है। कभी-कभी यह देखा जाता है कि तकलीफ बर्दाश्त न कर पाने के कारण मरीज बीच में ही कोर्स बंद कर देता है। इंजेक्शन की जगह जो दवा लाई गई है, वह काफी महंगी है। इससे मरीज को काफी राहत रहेगी।

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