धान की रोपाई तथा बेहतर उत्पादन को लेकर संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चंद्र तिवारी ने किसानों को बताएं तरीके
बस्ती। 20-25 दिन की नर्सरी रोपाई के पूर्व क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ई0सी0 02 मिली0ली0 प्रति ली0 अथवा कार्बेन्डाजिम $ मैंकोजेब 3-4 ग्राम प्रति ली0 का घोल बनाकर धान पौध की जड़ों को उसमें डुबोने के बाद रोपाई करायें, जिससे पौधों में सड़न आदि रोग न लगे। उक्त जानकारी संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चन्द्र तिवारी ने दिया है। उन्होने कहा है कि वर्तमान समय में रोपाई हो रही है और ऐसे समय में छोटे-छोटे उपाय करके किसान अपना उत्पादन बढा सकते है।
उन्होने बताया कि धान की रोपाई प्रत्येक वर्ग मीटर में 50-55 हिल्स तथा 2-3 पौध प्रति हिल लाइन से करें। खैरा रोग नियंत्रण हेतु 20-25 किग्रा0 प्रति हे0 जिंक सल्फेट का प्रयोग करें। जिन किसान भाईयों द्वारा नर्सरी नहीं डाली गयी है वह 50 प्रतिषत अनुदान पर उपलब्ध ड्रम सीडर अथवा सुपर सीडर से धान की सीधी बुवाई करें तथा खरपतवार नियंत्रण हेतु 2-3 दिन के अन्दर पेंडीमेथलीन 30 प्रतिशत ई0सी0 3.3 ली0 रसायन का 500-600 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। उन्होने बताया कि खरपतवार नियंत्रण हेतु धान की रोपाई के 2-3 दिन बाद खेत में 02 इंच पानी होने पर ब्यूटाक्लोर 50 प्रतिशत ई0सी0 3-4 ली0 अथवा प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ई0सी0 1.60 ली0 मात्रा 500 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
उन्होने बताया कि गन्ना की फसल में चोटी छेदक के नियंत्रण हेतु फ्यूराडान 01 किग्रा0 या क्लोरनट्रनिलीप्रोल 375 एम0एल0 प्रति हे0 की दर से खेत में पर्याप्त नमी की अवस्था में प्रयोग करें। गन्ना की फसल में चूसक कीट का प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस0एल0 का 200 एम0एल0 प्रति हे0 में छिड़काव करें। गन्ना फसल में लाल सड़न बीमारी के लक्षण दिखने पर प्रभावित प्रौधों को जड़ सहित निकाल दें तथा 10-20 ग्राम ब्लीचिंग पाऊडर अथवा 0.2 प्रतिषत थायोफेनेट मिथाइल की जड़ों के पास ड्रेसिंग करें।