हर मुकाम पर पैगम्बर ने इमाम हुसैन को पहचनवाया था
इमामबाड़ा शाबान मंजिल में दूसरी मोहर्रम को आयोजित हुई मजलिस
यूपी,बस्ती। इमामबाड़ा शाबान मंजिल में दूसरी मोहर्रम को आयोजित मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना मो. हैदर खां ने कहा कि इमाम हुसैन को पैगम्बर ने हर मुकाम पर पहचनवाया था। पैगम्बर जानते थे कि हमारे बाद हमारी उम्मत के कुछ लोग मेरे इस नवासे के खून के प्यासे हो जाएंगे। मक्का शहर की जीत के बाद इस्लाम कबूल करने वालों में से अधिकांश वह थे, जिन्होंने लालच, खौफ व सत्ता की लालसा में कलमा पढ़ा था। मौला अली, इमाम हसन से जंग करने, इमाम हुसैन को शहीद करने में इन लोगों का मुख्य किरदार रहा।
उन्होंने कहा कि पैगम्बर ने कहा था कि मेरा हुसैन मुझसे है, और मैं हुसैन से हूं। वह दुनिया को बता रहे थे, कि मेरा नवास मुझसे है, और मेरा दीन हुसैन की बदौलत सुरक्षित रहेगा। अल्लाह ने जिन पांच हस्तियों की पवित्रता की बात कुरआन में की है, उसमें इमाम हुसैन शामिल है। मुबाहले के मैदान में जब पैगम्बर को इसाईयों के मुकाबले अपने दीन को सच्चा साबित करना था, तो पैगम्बर अपनी गोद में लेकर इमाम को गए थे। दुनिया ने देखा कि शहजादा हुसैन खेलते हुए मस्जिद में आता है, और नमाज में मशगूल पैगम्बर की पीठ पर आकर बैठ जाता है। पैगम्बर ने उस समय तक सिजदे से सिर नहीं उठाया, जब तक हुसैन अपनी मर्जी से पीठ से उतर नहीं गए। अगर कोई दूसरा ऐसा करता है तो उसकी नमाज बातिल हो जाएगी।
मौलाना ने कहा कि पैगम्बर के इस दुनिया से पर्दा करने के साथ ही सत्ता का लालची गिरोह सक्रिय हो गया। हर तरीके से पैगम्बर के घर वालों पर जुल्म ढाए गए। पैगम्बर की चहेती इकलौती बेटी हजरत फातमा चंद माह बाद ही इस दुनिया से रुखसत हो गईं। मौला अली व इमाम हसन के खिलाफ जंग छेड़ दी गई, जिसमें काफी मुसलमानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। साजिश के तहत इन्हें शहीद करा दिया गया। इमाम हुसैन ने दीन के इन गद्दारों को कर्बला के मैदान में अपनी शहादत पेश कर बेनकाब कर दिया। मोहम्मद रफीक, सुहेल बस्तवी आदि ने सोज व सलाम पेश किया।
सफदर रजा, जमील अहमद, जीशान रिजवी, शम्स आबिद, शावर, नकी हैदर खां, आले मुस्तफा, जैन, अन्नू आदि मौजूद रहे।