भेजे पत्र में सीतापति ने कहा है कि वह भूमिहीन है और तत्कालीन जमीदार ने आराजी नम्बर 221 पूर्वजों को घर बनाकर रहने और उपभोग करने को दिया था। आराजी नम्बर 221 से बने हाल आरजी नम्बर 144 ग मिन रक्बा 0.010 हेक्टेयर में दीवाल बनाकर तीन कमरा व पक्का मकान घारी चरन आदि बनाकर जमीन्दारी उन्मूलन के पहले से रहने लगे। यह जमीन और मकान उसके नाम से दर्ज है। पत्र में सीतापति ने कहा है कि गत 19 जून को गांव के ही राजेन्द्र शंकर पुत्र स्वर्गीय राम सुन्दर ने पैसे की ताकत पर षड़यंत्र रचा। उसकेे मकान और जमीन को हड़पने की नीयत से बिना कोई पूर्व सूचना दिये बुलडोजर लेकर पहुंचे। मौके पर पैकोलिया थाने के साथ ही कई थानों की पुलिस पहुंच गयी और सीतापति, उसकी बेटी उमा, मीना, पुत्र पवन को थाने पर ले आयी और सीतापति के पति मनीराम को बंधक बनाकर उसके मकान को बुल्डोजर से ध्वस्त कराकर उसके घर का अनाज, जेवर , नकदी कुछ भी निकालने नहीं दिया गया। जेवर नकदी कहा हैं उसका कुछ नहीं पता। प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में उसके मकान को ढहा दिया गया जबकि उप जिलाधिकारी हर्रैया ने 145 रक्बा 0.029 हेक्टेयर से अवैध कब्जा बेदखल करने का आदेश दिया गया था। पैकोलिया पुलिस ने 151 में सीतापति आदि का चालान कर दिया। जमानत कराकर जब वे लोग अपने घर पहुंचे तो कुछ नहीं बचा था। उनका पूरा परिवार खुले आसमान में गुजर बसर को मजबूर है। सीतापति ने पत्र में कहा है कि राजेन्द्र शंकर उसकी जमीन के पीछे पेट्रोल पम्प बनवाना चाहते हैं और पेट्रोल के रास्ते के लिये उसके मकान को ध्वस्त करा दिया गया। सीतापति ने दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग करते हुये उसे अपनी जमीन पर मकान बनवाने के लिये गुहार लगाया है।