चेचक की तुलना में कम संक्रामक है मंकीपॉक्स
- मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य महकमा अलर्ट
- विदेश से लौटने की स्वास्थ्य विभाग की टीम करेगी
बस्ती, 30 जुलाई 2022। देश में मंकी पॉक्स के चार मरीज मिलने के बाद से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। इन मरीजों में केरल के तीन की विदेश की ट्रैवल हिस्ट्री है, जबकि दिल्ली के एक मरीज ने हिमाचल प्रदेश की यात्रा की थी। 75 देशों में 16313 मामले अब तक आ चुके हैं। किसी मरीज में अगर रोग के लक्षण मिलते हैं तो इसका सैम्पल लेकर जांच कराई जाएगी। मरीज को आईसोलेशन में रखकर उसका इलाज कराया जाएगा। रोग से प्रभावित देशों से अगर कोई आता है तो उस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम नजर रखेगी।
जिला सर्विलांस ऑफीसर डॉ. सीएल कन्नौजिया ने बताया कि मंकीपॉक्स न तो बहुत घातक है और न ही इसका संक्रमण तेज होता है। इसे लेकर किसी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है। डीएनए वॉयरस होने के कारण कोविड की तरह जांच से रोग की पुष्टि की जा सकती है। देश में जांच की सुविधा है। अगर किसी मरीज में रोग के लक्षण मिलते हैं तो स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देश के अनुसार सैम्पल लेकर जांच कराई जाएगी। इस दौरान मरीज को आईसोलेशन में रखकर उस पर निगरानी रखी जाएगी।
डॉ. कन्नौजिया ने बताया कि यह एक स्व-सीमित बीमारी है, इसके लक्षण सामान्यत: सात से 14 दिन का होता है। कभी-कभी पांच-21 दिन भी हो सकता है। कुछ रोगी गंभीर हो सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति में चकत्तों के दिखने से एक-दो दिन पहले से लेकर चकत्तों की पपड़ी गिरने तक रोगी संक्रमित रहता है। मृत्यु दर एक से 10 प्रतिशत तक हो सकती है। मंकी पॉक्स के लक्षण चेचक (आर्थोपॉक्स वायरस) से मिलते-जुलते हैं। चेचक को वर्ष 1980 में वैश्विक स्तर पर उन्मूलित घोषित कर दिया गया है। चेचक की तुलना में मंकीपॉक्स कम संक्रामक है। रोगी भी कम गंभीर होता है।
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मंकीपॉक्स रोग के हैं यह लक्षण
- बार-बार तेज बुखार आना
- पीठ और मांसपेशियों में दर्द
- त्वचा पर दानें और चकत्ते पड़ना
- खुजली की समस्या होना
- शरीर में सुस्ती आना
- गला खराब होना और बार-बार खांसी आना
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बचाव के तरीके-
- संक्रमित रोगियों को अलग रखें।
- संक्रमित के संपर्क में आने के बाद हाथ अच्छे से धोएं।
- साबुन और हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें।
- विदेश यात्रा से आने पर अपना चेकअप कराए।
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इस तरह फैलता है रोग
- जानवरों से मानव में
- जानवरों के काटने या खरोचने से
- जंगली जानवर के मांस का सेवन करने से
- रोगी के शरीर से निकले वाले द्रव्य के सीधे संपर्क में आने से
- दूषित बिस्तर, तौलिया व अन्य सामान्य के प्रयोग से

