बस्ती: बाल व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए दिया गया प्रशिक्षण

 हर बच्चे की मृत्यु की होगी समीक्षा, दूर की जाएंगी कमियां

- बाल व शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए दिया गया प्रशिक्षण

बस्ती। पांच दिवसीय मंडल स्तरीय बाल मृत्यु समीक्षा प्रशिक्षण एवं अभिमुखीकरण कार्यशाला का समापन मंगलवार को हुआ। एएनएमटीसी में आयोजित कार्यक्रम में मंडल के तीनों जिलों की सीएचसी के मेडिकल ऑफिसर, डीपीएम, डीसीपीएम, बीपीएम, बीसीपीएम ने प्रतिभाग किया। सभी को समीक्षा के लिए उपलब्ध फार्म में सूचनाएं भरने के लिए प्रशिक्षित किया गया। यह लोग अपने ब्लॉक में आशा व एएनएम को प्रशिक्षित करेंगे। 

यूनीसेफ के मंडलीय पर्यवेक्षक सुरेंद्र शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में बाल व शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। अब हर बच्चे की मौत की समीक्षा होगी व समीक्षा में मिलने वाली कमियों को दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रसव के बाद बच्चे के शारीरिक दोष की पहचान कर उचित प्रबंधन के सहारे मृत्यु को कम किया जाना है। 37 सप्ताह से अधिक का बच्चा होना चाहिए व उसका वजन न्यूनतम 2.5 किलोग्राम होना चाहिए। बच्चे का वजन अगर इससे कम है तो उसे प्री टर्म मानते हुए यह बच्चे में सम्भावित कम्पलीकेशन के प्रति सतर्क हो जाना चाहिए। 2000 ग्राम से कम वजन होने पर बच्चे को तत्काल एसएनसीयू या एनबीएसयू के लिए रेफर कर देना चाहिए। इसके लिए सरकारी एम्बुलेंस 102/108 की सेवा उपलब्ध है। 

मुख्य प्रशिक्षक और मेडिकल कॉलेज की बालरोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. अलका शुक्ला ने कहा कि प्रत्येक गर्भवती का पंजीकरण जरूर कराएं। जो एमसीपी (मदर चाईल्ड प्रेग्नेंसी) कार्ड उसे दिया जा रहा है, उसमें दर्ज दिशा-निर्देशों को जानने के लिए उसे प्रेरित करना होगा। डॉ. प्रियंका केसरवानी ने कहा कि गर्भधारण के बाद से आवश्यक जांच कराना, आवश्यक टीके लगवाना, नवजात को जीरो डोज लगवाना जरूरी है। संस्थागत प्रसव के लिए महिलाओं को प्रेरित किया जाए।  

जिला मातृ स्वास्थ्य सलाहकार राजकुमार ने बताया कि प्रदेश में बाल मृत्युदर पांच साल में 43, एक साल में 38 तथा 28 दिन में 28 मौत प्रति हजार जीवित बच्चा है, जो राष्ट्रीय औसत से कुछ ज्यादा है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर इसे और कम किया जाएगा। 

यह लक्षण दिखे तो हो जाए सतर्क

- बच्चा अगर देर से रोता है, नहीं रो रहा है, या कुछ समय बाद रोना बंद कर दिया। 

- बच्चा अगर मां का दूध नहीं पी रहा है। 

- उसे सांस लेने में समस्या आ रही है। 

- कम वजन का व समय से पहले प्रसव हुआ है। 

- शरीर में किसी प्रकार के कटे-फटे या घाव का निशान है। 


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