LIC पॉलिसी को मेच्योरिटी से पहले करना चाहते हैं सरेंडर, तो जान लीजिए नियम
नई दिल्ली। बाद में उन्हें पता चलता है कि LIC पॉलिसी उनके किसी काम की नहीं है और फिर वे बीच में इसको सरेंडर करना चाहते हैं. इसके अलावा भी अन्य कारणों से पॉलिसी होल्डर कई बार पॉलिसी सरेंडर करना चाहता है. ऐसे में जरूरी है इससे जुड़े कुछ नियमों के बारे में जान लेना.
अगर आपने पॉलिसी को मेच्योरिटी से पहले उससे बाहर निकलना चाहते हैं तो उसे पॉलिसी सरेंडर करना चाहते हैं तो आज हम आपको इससे जुड़े कुछ नियम बता रहे हैं.
जानिए क्या हैं सरेंडर के नियम: LIC भी ग्राहकों को पॉलिसी सरेंडर करने का ऑप्शन देती है पर इन बातों का रखें ध्यान
>> अगर आप मेच्योरिटी से पहले सरेंडर करते हैं तो इसकी वैल्यू कम हो जाती है.
>> रेगुलर पॉलिसी में पॉलिसी सरेंडर वैल्यू की कैलकुलेशन तभी की जा सकती है जब पॉलिसीधारक ने लगातार 3 सालों तक प्रीमियम का भुगतान किया हो.
>> वहीं 3 साल पहले सरेंडर करने की स्थिति में कोई वैल्यू नहीं दी जाती है.
तरीके से सरेंडर किया जा सकता है:
1. गारंटीड सरेंडर वैल्यू (GSV)
इसके तहत पॉलिसी होल्डर्स को अपनी पॉलिसी के 3 साल पूरे होने के बाद ही सरेंडर कर सकता है. जिसका मतलब है कि 3 साल तक प्रीमियम भरना होगा. अगर आप 3 साल के बाद सरेंडर करते हैं, तो पहले साल में चुकाए गए प्रीमियम और एक्सीडेंटल बेनिफिट के लिए चुकाए गए प्रीमियम को छोड़कर, सरेंडर वैल्यू भुगतान किए गए प्रीमियम का करीब 30 फीसदी होगा. इसलिए, जितना लेट आप पॉलिसी सरेंडर करेंगे उनती वैल्यू अधिक मिलेगी.
2. स्पेशल सरेंडर वैल्यू
स्पेशल सरेंडर वैल्यू इसमें (मूल बीमा राशि (भुगतान किए गए प्रीमियम की संख्या / देय प्रीमियम की संख्या) + प्राप्त कुल बोनस)
सरेंडर वैल्यू फैक्टर. ये एक फॉर्मूला है जिससे स्पेशल सरेंडर वैल्यू हासिल की जाती है.